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opera
बचाओ ! बचाओ ! मैं पृथ्वी हूँ । मुझे बचाओ । मुझे इन मनुष्यों ने बीमार बना दिया है । मेरी स्वास्थ्य बिगड़ चुकी है । मुझे प्रकृति चिकित्सा की जरूरत है । हाँ ! मेरी दवाई तो केवल जड़ी बूटी ही है । पेड़ पौधों में संतुलन पैदा करो और देखो मैं कैसे स्वस्थ हो जाती हूँ । मेरी स्वास्थ्य तुम्हारी स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रही है । इतना सब होने के बावजूद अगर तुम मेरी स्वास्थ्य के प्रति सचेत नहीं होते हो तो कब इसके प्रति सचेत बनोगे । मैंने तुम्हें क्या नहीं दिया मगर तुमने मुझे क्या दिया । ये बीमारियाँ , ये जवानी में जर्जरता । कहो ! मैं कितना सहन करूँ । तुम समझते हो कि मैं जड़ हूँ किन्तु ऐसा नहीं है । मैं तुम्हारी कृतियों से बुरी तरह से प्रभावित हो रहा हूँ और मेरा प्रभावित होना तुम्हारे लिए शुभ संकेत नहीं है । तुम स्वयं बुद्धिमान हो । जरा सोचो । तुम ऋण शक्ति हो तो तुम्हारा धन शक्ति कौन हुआ । तुम ठीक समझ रहे हो । ये पेड़ पौधे हीं तुम्हारी धन शक्ति है । इसे संरक्षण प्रदान करो । यही तुम्हारी जिंदगी है और मेरी भी । तुम रहो न रहो ये तो अवश्य ही रहेंगे किन्तु साथ रहना चाहते हो तो इसे बचाना होगा ।
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