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गुरु चेला

Raj Kumar
Raj Kumar
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गुरुजी बहुत अच्छे थे । उनकी वाणी सभी को मोहित कर लेती थी । आखिर करती क्यों नहीं, वो होती ही इतनी आकर्षक कि बस दिल करता सुनता रहूँ और सुनता रहूँ । लेकिन कहा गया है कि हर किसी की उम्र मुकर्रर होती है । ऐसा ही उनकी वाणी के साथ हुआ । एक दिन लोगों ने सुना उनकी पक्षपात भरी बातें । कलम की ताकत जिसके बलबूते उसने अपनी सरहज को तीस में छब्बीस नम्बर दिए और अन्य प्रतिभाशाली छात्रों को उससे कम । आखिर सभी को पता था उसकी प्रतिभा के बारे में ।
गुरुजी के इस कृत्य ने सभी छात्रों को सिखाया इस दुनिया को कैसे छला जाए । अपनों को कैसे लाभ पहुँचाया जाए । लेकिन गुरुजी के इस सीख में कमी थी । छात्रों ने सभी से छल करना तो सीख लिया किन्तु अपनों को लाभ पहुँचाना नहीं सीख पाया ।
छात्र जब पारिवारिक जीवन में प्रवेश किया तो सबसे पहले अपनों से छल किया । छल कामयाब रहा और उसने अपना दायरा बढ़ाया । दूसरी दौर में उसने अपने दोस्तों को ठगा । गुरुजी की शिक्षा को धन्य कहा जाए दूसरी दौर में भी कामयाबी मिली । छात्र ने समझा मेट्रिक और इन्टर की परीक्षा तो पास कर ली अब डिप्लोमा भी कर लिया जाए और इस प्रकार दुनिया को ठगने की धंधा चल पड़ा ।

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