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शिक्षा राशि का सच!

Raj Kumar
Raj Kumar
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शिक्षा राशि का सच
आखिर नियोजित शिक्षकों को वेतनमान
क्यों नहीं?
निश्चय ही नियोजित शिक्षकों को वेतनमान
मिलेगा।
आईए, हम विचार करें शिक्ष मद में आबंटित
राशि को कौन कितना उड़ाता है।
अगर हम मान लें कि वर्तमान में नियोजित
शिक्षकों की संख्या 4 लाख है जिसे 10 हजार
रुपये प्रति माह दिया जाता है तो इस हिसाब
से नियोजित शिक्षकों पर सलाना व्यय 4 लाख
गुणा 10 हजार गुणा 12 बराबर 48 अरब रुपये
पड़ता है। जो कि संभवतः वर्तमान बजट है।
अब दूसरे मद की बात करते है।
अगर वर्तमान में हमारे राज्य में शिक्षक और
छात्र अनुपात 1:50 है तो कुल
छात्रों की संख्या 4 लाख गुणा 50 बराबर 2
करोड़ होता है। इन छात्रों को विभिन्न
योजनाओं के अंतरगत औसतन लगभग 5000 रुपये
सरकार द्वारा सलाना दिया जाता है।
अतः केवल छात्रों पर खर्च की गई राशि 2
करोड़ गुणा 5000 बराबर 100 अरब रुपये
होता है।
अब स्तिथि ऐसी है कि नियोजित दीन-हीन,
भूखे-प्यासे शिक्षकों के
द्वारा ऐसी योजना चलवाया जाता है।
शिक्षकों का ये पैसा शिक्षकों के
द्वारा बँटबाया जाता है। 75 प्रतिशत के नाम
पर हमें अपमानित भी करवाया जाता है।
वेतनमान के नाम पर कहा जाता है
कि खजाना खाली हो जाएगा!
अरे हुजूर! जो मुफ्त में 100 अरब रुपये बँट सकते हैं;
वे कहे कि पैसा नहीं है वेतनमान देने के लिये। यह
तो विश्वास के परे है।
हम यह नहीं कहते हैं कि आप फ्री में 100 अरब न
बाँटे। आप 100 के जगह 1000 अरब बाँटे किन्तु
पहले हमें हमारी मजदूरी “वेतनमान” तो दे दें।
अतः हम नियोजित शिक्षक आप से निवेदन
करना चाहते हैं कि – माई-बाप! आप जिद्द
छोड़िए! ये कोई बड़ी बात नहीं है। आप
हमलोगों को वेतनमान चुटकी में दे सकते हैं। एक
बार हमारे बारे में खुले दिल से विचार
तो कीजिए। पक्ष-विपक्ष में आप कई बार बैठे
होंगे। एक बार हमारे बीच बैठ कर हमारे बारे में
तो सोचिए।

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